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कृषि‍ के साथ पशुपालन

प्रकाशित तिथि : 11/09/2020

Vetrenary

कृषि‍ एवं पशुपालन का आपस में सम्बन्ध बहुत पूराना है। कृषि‍ एवं पशुपालन एक दूसरे के पूरक है। कृषि से उपलब्ध हरा चारा, भूसा, पूआल, खली आदि पशुओं का प्रमुख आहार है। इसी प्रकार पशुओं से प्राप्त गोबर का प्रयोग कम्पोस्ट खाद के रूप में खेतों मे प्रयोग किया जाता है जिससे मृदा की उरर्वरा श‍त्‍कि बढती है। पशुओं द्वारा खेतो की जुताई के साथ-साथ परिवहन का कार्य भी किया जाता है।

कृषि‍ एवं पशुपालन की आर्थिकी:-

कुल एक हे0 भूमि‍ से ०.२ हे0 भूमि‍ हरे चारे के उगाने के प्रयोग मे लायी जायेगी।

 

क्र00 कृषि गेहूँ धान पशुपालन
1 कुल उत्‍पादन गेहूं-42 कु0

गेहूं भूसा-46 कु0

बरसीम-100 कु0

धान – 52 कु0

पुआल – 57 कु0

नैपियर घास/एम0पी0 चरी – 100 कु0

 

2 भैंस दूध – 10 लीटर प्रति दिन प्रति भैंस कुल 250 दिन कुल दूग्ध उत्पादन  5000 लीटर
  लागत गेहूं  44000 रू0

 

धान – 53000 रू0

नैपयिर घास, एम0पी0 चरी – 3000 रू0

 

95000 रू0

बरसीम 3000  रू0
  कुल आय गेहूं से – 80850 रू०

भूसे से – 23000 रू0

धान से – 94380 रू0

पुआल से – 17000 रू0

 

दूध – 200000 रू0
  शुद्ध लाभ गेहूं से 36850 रू0 धान से 41380 रू0 दूध से -105000 रू0

 

इस प्रकार एक वर्ष में एक हे0 भूमि से धान-गेहूं फसल चक्र के साथ दो भैंस पालन करने से कुल 183230 रू0 शुद्ध लाभ प्राप्‍त किया जा सकता है