कृषि के साथ पशुपालन
कृषि एवं पशुपालन का आपस में सम्बन्ध बहुत पूराना है। कृषि एवं पशुपालन एक दूसरे के पूरक है। कृषि से उपलब्ध हरा चारा, भूसा, पूआल, खली आदि पशुओं का प्रमुख आहार है। इसी प्रकार पशुओं से प्राप्त गोबर का प्रयोग कम्पोस्ट खाद के रूप में खेतों मे प्रयोग किया जाता है जिससे मृदा की उरर्वरा शत्कि बढती है। पशुओं द्वारा खेतो की जुताई के साथ-साथ परिवहन का कार्य भी किया जाता है।
कृषि एवं पशुपालन की आर्थिकी:-
कुल एक हे0 भूमि से ०.२ हे0 भूमि हरे चारे के उगाने के प्रयोग मे लायी जायेगी।
क्र0स0 | कृषि | गेहूँ | धान | पशुपालन | |
1 | कुल उत्पादन | गेहूं-42 कु0
गेहूं भूसा-46 कु0 बरसीम-100 कु0 |
धान – 52 कु0
पुआल – 57 कु0 नैपियर घास/एम0पी0 चरी – 100 कु0
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2 भैंस दूध – 10 लीटर प्रति दिन प्रति भैंस कुल 250 दिन कुल दूग्ध उत्पादन 5000 लीटर | |
लागत | गेहूं 44000 रू0
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धान – 53000 रू0
नैपयिर घास, एम0पी0 चरी – 3000 रू0 |
95000 रू0 |
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बरसीम 3000 रू0 | |||||
कुल आय | गेहूं से – 80850 रू०
भूसे से – 23000 रू0 |
धान से – 94380 रू0
पुआल से – 17000 रू0
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दूध – 200000 रू0 | ||
शुद्ध लाभ | गेहूं से 36850 रू0 | धान से 41380 रू0 | दूध से -105000 रू0 | ||
इस प्रकार एक वर्ष में एक हे0 भूमि से धान-गेहूं फसल चक्र के साथ दो भैंस पालन करने से कुल 183230 रू0 शुद्ध लाभ प्राप्त किया जा सकता है