संस्कृति और विरासत
रामपुर दिल्ली और लखनऊ के बाद कविता के तीसरे स्कूल के रूप में माना जाता है। रामपुर के नवाबों को कविता और अन्य ललित कला के बहुत शौकीन थे। वे कवि जो उनके साथ जुड़े गए थे उनको कविताओं के लियें पारिश्रमिक प्रदान किया जाता था
रामपुर के शासकों का क्षेत्र की वास्तुकला पर अलग प्रभाव पड़ा है। इमारत और स्मारक मुगल प्रकार की वास्तुकला की उपस्थिति दर्शाता है। इमारतों में से कुछ बहुत पुरानी हैं सबसे अच्छी तरह से डिजाइन स्मारक में से एक रामपुर का किला है ( रामपुर का किला)।पूर्व में यहाँ रजा लाइब्रेरी या हामिद मंज़िल, शासकों के महल रह चुके है। यह ओरिएंटल पांडुलिपियों का एक बड़ा संग्रह है। इमामबाड़ा भी किले में है । जामा मस्जिद वास्तुकला के बेहतरीन नमूना है । यह कुछ हद तक दिल्ली में जामा मस्जिद जैसी दिखती है और एक सुंदर इंटीरियर है। इसको नवाब फैज़ुलाह ख़ान ने बनवाया था। यहाँ अध्यन के लिए एक अनूठा मुगल स्पर्श है। वहाँ मस्जिद के लिए कई प्रवेश द्वार हैं। यहाँ मुख्य द्वार पर एक इनबिल्ट क्लॉक टॉवर ,(एक बड़ी घड़ी है ) जनपद में कई प्रवेश बाहर के लियें निकलें हैं