रज़ा लाइब्रेरी

रज़ा लाइब्रेरी
इंडो इस्लामिक शिक्षा और कला का खजाना है रामपुर की रजा लाइब्रेरी। लाइब्रेरी में सहेजी गई दुर्लभ पांडुलिपियां अब आम लोगों तक पहुंच सकेंगी। भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय की पहल पर दुर्लभ पांडुलिपियों का हिंदी-अंग्रेजी में अनुवाद चल रहा है। अब तक 159 पांडुलिपियों का अनुवाद करने के बाद अलग वर्जन तैयार किया जा चुका है। इसके पीछे पांडुलिपियों में लिखे सच को आम लोगों तक पहुंचाने का मकसद है।
रामपुर में नवाब फैज उल्ला ख़ान द्वारा 1774 में स्थापित किया था। उन्होंने राज्य पर 1794 तक शासन किया, और उनकी विरासत संग्रह के माध्यम से पुस्तकालय के गठन द्वारा केंद्रीय भाग में स्थापित कर दी गई। बहुमूल्य पांडुलिपियों के ऐतिहासिक दस्तावेजों, मुग़ल लघु चित्रों, किताबें और कला के अन्य कार्यों को नवाबों के तोपख़ाना में रखा गया उन्होंने इसे काफी हद तक अपने अधिग्रहण से जोड़ा।